यदि कोई अंतर हो तो प्रलेखी साक्ष्य के साथ उसका उचित समाधान करना चाहिए।
3.
डॉ. स्वामी ने न्यायालय के सम्मुख प्रलेखी साक्ष्य (डोक्युमेंट्री एविडेंस) भी उपलब्ध करवाए।
4.
5. 3.2.2 प्रलेखी साक्ष्य के माध्यम से परिचय:यदि किसी वर्तमान खाताधारक/बैंक को परिचित कोई व्यक्ति द्वारा परिचय उपलब्ध नहीं कराया जा सकता है तो हम प्रलेखों के आधार पर स्व-परिचय के साथ खाता खोल सकते हैं ।